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चाय वाला

करीबन 20 वर्ष पहले की बात है। ये एक कस्बा तहसील थी जहाँ के सर्वेसर्वा तहसीलदार साहब थे। तहसील बहुत लम्बी-चौड़ी जगह में फैली हुई थी। तहसील के आखिरी छोर पर एक चाय की दुकान थी जिसे 35-36 वर्षीय एक युवक चलाता था जोकि अविवाहित था। नाम था अशोक किसी कारण वश उसकी शादी नहीं हो पाई थी। छोटी जगह होने के कारण लोग एक-दूसरे के करीब थे। आपस में परिचित थे। एक थाना था जिसके अधिकारी थानेदार साहब थे। 


दोपहर के लगभग तीन बज रहे थे। तहसील के प्रांगण में बहुत गहमा-गहमी थी। लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। 
ये क्या एक 19-20 वर्षीय साँवली सी दुबली-पतली लड़की
की शादी हो रही थी। तहसीलदार साहब लड़की की तरफ से शादी में मुख्य व्यक्ति थे। थानेदार साहब, थाने के सिपाही आदि लड़की की तरफ से मौजूद थे। बहुत भीड़ थी सब लोग बहुत खुश थे।

दूल्हा बना बैठा था चाय वाला अशोक। अशोक की माँ का देहांत हो चुका था। उसके परिवार में उसके पिता और एक छोटा भाई था। वही उसके बाराती-और घराती थे।

चारों तरफ खुशी का माहौल था। साधारण तरीके से शादी सम्पन्न हुई। तहसीलदार साहब ने उपस्थित सज्जनों को चाय नाश्ता कराया और खुशी-खुशी कन्या को सजन घर विदा किया।

थानेदार साहब को खबर मिली कि पास के ही गाँव में किसी महिला की खरीद-फरोख्त हो रही है। वह अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँचे। महिला और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। महिला से पूछताछ की वह इन लोगों की भाषा नहीं समझ पा रही थी। महिला जो बोल रही थी उसे ये लोग थोड़ा-बहुत ही समझ पा रहे थे।
अब क्या किया जाए??
थाने में उसे रख नहीं सकते!!
तहसीलदार साहब को अवगत कराया गया!!
एक क्वार्टर में महिला चपरासिन के साथ उस महिला के रहने की व्यवस्था की गई।
अधिकारी इसी विचार विमर्श में थे कि क्या किया जाए??

तभी अशोक चायवाला चाय लेकर उनके समक्ष आया और चाय देकर चला गया। उसको देख कर उनको एक दम से ख्याल आया कि क्यों ना इस अशोक के साथ उस लड़की की शादी कर दी जाए। इसकी भी गृहस्थी बस जाएगी और लड़की की भी जिंदगी सुधर जाएगी। दोनों को एक दूसरे का सहारा मिल जाएगा। लड़की का भला हो जाएगा। उन्होंने तुरंत अशोक के पिता जी को बुलाया और उनके समक्ष यह बात रखी कि क्या वे इस लड़की से अशोक की शादी करने के लिए तैयार हैं अशोक से पूछा गया तो अशोक ने भी थोड़े विचार विमर्श के पश्चात शादी के लिए हाँ कर दी। 

छोटे से कार्यक्रम के साथ शादी की तैयारी की गई। तहसीलदार साहब मुख्य कर्ता-धर्ता थे। अधिकारी और कर्म चारियों ने मिलकर शादी सम्पन्न कराई।
कन्या खुशी खुशी अपने पति के घर चली गई दोनों जीवन की गाड़ी को मिलकर चलाने लगे।
कुछ ही दिनों में महिला हिन्दी भाषा भी बोलने लगी!!
अधिकारियों ने मिलकर इंसानियत का परिचय देते हुए एक पुण्य कार्य सम्पन्न कराया!!

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)

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10 Comments

RISHITA

23-Jul-2023 12:55 PM

Very nice

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Irfan

09-Jul-2023 10:16 AM

उम्दा

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वानी

09-Jul-2023 10:07 AM

Nice

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